Monday, May 25, 2009

बैडफेथ

आप सब का आभार . आभार इसलिये कि आप सबने अपने बीच मुझे बर्दाश्त किया . . एक मित्र ने मुझसे पूछा हैआखिर क्या है बैडफेथ ? बैडफेथ अपने आप से ही बोला गया झूठ है.अपने आप को दिया गया फ़रेब है , धोखा है. ऐसी आत्म्प्रवन्चना है जिसमे आदमी खुद की जिम्मेदारियो से पलायन का बहाना ढूढता है. .एक दुराग्रह है जो अस्तित्व की अन्य सम्भावनाओ से इन्कार करता है’.बैड्फ़ेथ’ जिसके हम सभी शिकार है .ये शब्द मेरा रचा नही है. अस्तित्ववादी विचारक ’सार्त्र" के दर्शन से लिया गया है . बारहा हम इस बात से इन्कार करते कि दुख: हताशा घृणा , वासना, भय , जुगुप्सा, इर्ष्या ,हमारे अस्तित्व के ही तत्व है.हम इनसे ही बने है.हमारे होने मे इन सब का भी हाथ है. मान लीजिये आप किसी को बहुत चाह्ते है और उसने आप को मुश्किल मे डाल रखा है आप ठीक से जानते है कि सारी खुराफ़ात कि जड़ वो ही है पर आप खुद को समझाते है , नही! नही! वो तो ऐसा नही है . उसे किसी ने बर्गलाया है . वो भला ऐसा कैसे हो सकता है. आप अपने आप को ही झुठलाते है. और आप सोचते है! _ वैसे तो इसी ने मुझे बरबाद किया है, पर इल्जाम किसी और के सर जाये तो अच्छा, .यही तो है बैड्फ़ेथ.

Saturday, May 9, 2009

दुरास्था


कौन सच मानता है ?
तुमने माना कि वो ईश्वर का बेटा है,
तुमने माना कि वो ख़ुदा का दूत है,
तुमने माना कि वो पैगम्बर है ,
तुमने माना कि वो शास्ता है,अवधूत है ,
तुमने माना कि वहां स्वर्ग है जन्नत है ,
तुमने माना कि वहां दोज़ख में आग है ,
तुमने माना कि मरना कपड़ा बदलना है ,
तुमने माना कि आख़िर में इन्साफ है ,
तुमने माना कि तुम ख़ास हो,सब आम है
तमने माना कि जिंदगी भी जाम है ,
तुमने माना जो तुम्हारा है अच्छा,दूसरा ख़राब है
तुमने माना कि जो दुनियाँ है वो ख्वाब है ,
तुमने माना कि इसमें कुछ तो है जो सच्चा है ,
पर मुझे नहीं मालूम कि एक आदमी दूसरे से कैसे अच्छा है ,
तो !
तुमको मालूम है जन्नत की हकीक़त , लेकिन
दिल को बहलाने को तुम्हारा ये ख्याल अच्छा है