आखिर क्यों लिखता हूँ मै ?
मै लिखता हूँ , की मुझे प्यार है तुमसे और नफरत भी .
मै लिखता हूँ , की यही मुसीबत है मेरी और मसर्रत भी .
मै लिखता हूँ , की कोई बेचैन सी खलिश चीरती है मुझे
और कोई अनजाना सा दर्द पुकारता है ,
मुझमे जगता है एक दीवानगी का सुरूर
और बुझ जाता है मेरे अन्दर वजूद का गुरुर
मै लिखता हूँ , की यही काम है मेरा और फितरत भी
.मै लिखता हूँ , की मुझे प्यार है तुमसे और नफरत भी
मै लिखता हूँ , की वो सुबह अभी तक आई नहीं है ,
और ख़याल में वो गहराई नहीं है .
की एक बच्चा बेचता है सड़क पर अख़बार
और घर में पड़ी है उसकी माँ बीमार
मै लिखता हूँ, की यही इल्जाम है मेरा और शोहरत भी
मै लिखता हूँ , की मुझे प्यार है तुमसे और नफरत भी
मै लिखता हूँ , की वो सुबह अभी तक आई नहीं है ,
और ख़याल में वो गहराई नहीं है .
की एक बच्चा बेचता है सड़क पर अख़बार
और घर में पड़ी है उसकी माँ बीमार
मै लिखता हूँ, की यही इल्जाम है मेरा और शोहरत भी
मै लिखता हूँ , की मुझे प्यार है तुमसे और नफरत भी
मै लिखता हूँ , की इंसानियत का हक़ अदा नहीं है ,
और हवाओं में प्यार की सदा नहीं है .
की कमीज से पेट आज भी ढक लिए जाते है
और मासूम आज भी भूख से चिल्लाते है
मै लिखता हूँ , की यही तंज है मेरा और उलफ़त भी
मै लिखता हूँ , की मुझे प्यार है तुमसे और नफरत भी
मै लिखता हूँ , की आशिकी में ईमानदारी नहीं है
और हुस्न में अब वो चिंगारी नहीं है
की टूट गई है किसी माँ की आस
और खुदा से उठ गया है आदमी का विश्वास
मै लिखता हूँ , की यही इज्जत है मेरी और तोहमत भी
मै लिखता हूँ , की मुझे प्यार है तुमसे और नफरत भी
मै लिखता हूँ, की , हर चेहरे पर पोशीदा एक इल्जाम है,
और मेरे हाथ में बस एक खाली जाम है .
की बरसती आ रही है जमीन पर दोजख की आग ,
और उभर आया है धरती के सीने का दाग .
मै लिखता हूँ , की यही अजमत है मेरी और किस्मत भी ,
मै लिखता हूँ , की मुझे प्यार है तुमसे और नफरत भी
मै लिखता हूँ कि , मुझे बेचैन करती है राजनीति की मक्कारी .
और फिर झूठ लगती है मुझे मसीहा की वादाकारी
कि अब टूट चुका है पिता से किया वादा
और झुक जाता है सत्ता के सामने नेक इरादा
मै लिखता हूँ कि यही जुनू है मेरा और वहशत भी
मै लिखता हूँ कि मुझे प्यार है तुमसे और नफ़रत भी .
मै लिखता हूँ कि , कि अभी उम्मीद मेरी टूटी नहीं है
और बच्चों कि मुस्कान अभी झूठी नहीं है
कि उठते है आज भी हवाओं में विरोध के स्वर ,
और एक बेजान दिल पर हो रहा है मुहब्बत का असर .
मै लिखता हूँ कि , बाकी है एक ख्वाहिश मेरी और एक हसरत भी
मै लिखता हूँ कि मुझे प्यार है तुमसे और नफ़रत भी .