Thursday, July 15, 2010
शेर की खाल उतार कर कुत्ता हो जाऊं
तुम कैसे जिन्दा रहते शेर .
जब सामने तुम्हारे आदमी था सवा शेर .
काश तुम बन सकते कुत्ते
तो लोग तुम्हे गोद में लिए फिरते .
काश तुमने छोड़ दिया होता जंगल का अधिकार
तो शायद आदमी करता तुमसे भी प्यार .
देखो कुत्तो को !. दुलराये जाते हैं ,सहलाये जाते हैं ,
सुन्दरियों के गोद में इतराए जाते है ,
आखिर किस गुमान में हो तुम ................!
आदमियों में भी जो थे शेर ,
सब कर दिए गए है ढेर .
अब बस कुत्तो की ही प्रजाति कायम है ,
शेर बनना आजकल जरायम है ,
सब कर रहे है अपने अन्दर के शेर को शूट
और, श्वान बनाये जाने के खुल रहे हैं दनादन इंस्टिट्यूट .
अब मै भी सोचता हूँ खुद को समझाऊ , और
शेर की खाल उतार कर कुत्ता हो जाऊं
*दुनिया मे कम होते शेरों के प्रति .
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3 comments:
अब मामला समझ आया कि शेर क्युँ 1411 ही बचे है…
आप मत खाल उतारना वरना 1410 ही बचेंगे॥
कविता से ज़्यादा सत्यवाद है "सबको शेर नही कुत्ता चाहियें।"
अब समस्या है कि खाल भी उतार दें दमखम तो शेरवाली ही बनी रहेगी उससे कैसे निजाद हो? फ़िर तो और बुरा होगा… शेर बना रहना ही भला है।
Bahut khoob.
nice poem post write you I appreciate you.keep write post like this .Thank you for giving information
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